Chhattisgarh: यहां हैं पांच लाख से भी ज्यादा औषधीय पेड़ पौधे, इनकी सोच से तैयार हुआ अनूठा जंगल

रायपुर। Chhattisgarh: भारत सरकार के आय़ुष मंत्रालय के तहत औषधीय पौधों की खेती व उसके संरक्षण व प्रोत्साहन के लिए महत्वपूर्ण निकाय मेडिसिनल प्लांट बोर्ड ने अपनी नई समिति का गठन किया है। समिति में छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों की खेती करने वाले प्रगतीशील किसान डा. राजाराम त्रिपाठी को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है। डा राजाराम त्रिपाठी ने अपनी वर्षों की मेहनत के साथ करीब 25 हजार आदिवासी किसानों को जोड़कर औषधियों का एक विशाल जंगल छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में तैयार किया है। बस्तर संभाग के इस नक्सल प्रभावित बेहद पिछड़ जिले में एथिनो- मेडिको पार्क का उनका अनुप्रयोग बेहद अनूठा है। यहां देश भर की अनेकों दुर्लभ औषधीय प्रजातियों के साथ ही करीब अलग- अलग प्रजाति के करीब पांच लाख औषधीय पादप लगाए गए हैं। यह प्रयोग जंगल की जमीन के भीतर किया गया है। इसके साथ यहां पूरी तरह से जैविक पद्धति से ही खेती होती है।

औषधीय व जैविक खेती में सहकारिता का लाभकारी मॉडल

विदित हो कि डा. त्रिपाठी ने औषधीय व जैविक खेती को लेकर एक सहकारिता का एक लाभकारी मॉडल तैयार किया है, जिसको देशभर में स्वीकृति प्राप्त हुई है। इन्होंने बीते ढाई दशक में जैविक और औषधीय खेती के क्षेत्र में कई नवोन्मेष किया है और इनके नवोन्मेष से प्रेरित हो कर हजारों की संख्या में किसानों ने इनकी खेती के मॉडल को अपनाया है और लाभकारी खेती कर रहे हैं। डा. त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थानीय आदिवासियों को समावेशित कर एथिनो-मेडिको पार्क की स्थापना की है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित की गई विलुप्त होती जड़ी- बूटियों का संरक्षण-संवर्धन किया जाता है। करीब पांच लाख से अधिक पौधे इस पार्क में हैं। यह देश का इकलौता हर्बल पार्क इतना बड़ा पार्क है। डा . त्रिपाठी ने जड़ी-बुटियों व जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए उनके उत्पाद के विपणन में आ रही परेशानियों को देखते हुए ढाई दशक पहले चैम्प नामक एक संगठन की स्थापना की, जिससे किसानों को उचित बाजार उपलब्ध हो सके। वर्ष 2005 में भारत सरकार ने भी इस संगठन को मान्यता दे दी और आज 40 हजार से अधिक किसान इस संगठन से जुड़ कर अपने उत्पाद का सफलता पूर्वक विपणऩ कर रहे हैं।

हर्बल फार्मिंग के लिए विश्व में सर्वाधिक अनुकूल भारत की भौगोलिक स्थिति

डा. त्रिपाठी ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति हर्बल फार्मिंग के लिए विश्व में सर्वाधिक अनुकूल हैं। यहां 16 क्लाइमेट जोन है, जो इसे पूरे विश्व में विशेष बनाते हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल हर्बल मार्केट में आज की तारीख में चीन का दबदबा है और भारत की हिस्सेदारी महज 16 फीसदी है। जब कि चीन के मुकाबले भारत जड़ी- बूटियों की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त जलवायु वाला देश है। बस जरुरत है कारगर नीति और उन नीतियों के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन की। उन्होंने कहा कि मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के सदस्य मनोनीत होने के बाद उनका प्रयास होगा कि जड़ी- बूटियों की खेती के लिए छोटे-छोटे किसानों को प्रोत्साहित किया जाए और कलस्ट बना कर इन्हें हर्बल फार्मिंग की ट्रेनिंग दी जाए। अगर इस दिशा में में सफलता मिलती है तो अगले कुछ वर्षों में ही भारत दुनिया का हर्बल हब बन कर उभरेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में गुणात्मक सुधार आएगा।

जड़ी- बूटियों की खेती के प्रोत्साहन के लिए 4 हजार करोड़ रुपये का कोष

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों जब केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के महा आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी तब देश में जड़ी- बूटियों की खेती के प्रोत्साहन के लिए 4 हजार करोड़ रुपये के कोष का आवंटन भी किया है, इसके तहत 25 लाख हक्टेयर भूमि में जड़ी- बूटियों की खेती की योजना है. डॉ त्रिपाठी ने कहा कि सरकार ने वक्त की नजाकत को बारिकी से समझा है और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय किया है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश को जड़ी-बुटियो के उत्पादन और विपणन में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।

भारत ऐसे बनेगा दुनिया का हर्बल हब

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि भारत में जड़ी- बूटियों की आपूर्ति वनों से सर्वाधिक होती है और इससे जंगलों से जड़ी-बुटियों की बहुत सारी प्रजातियां विलुप्त होने के कागार तक पहुंच गई हैं। इसलिए आवश्यक है कि ऐसी नीति हो जिससे जंगलों का वास्तविक रुप से विनाशविहिन दोहन किया जा सके। जिससे वनो की मौलिकता और उनका आस्तित्व बना रहे तथा वहां से जड़ी-बुटियों का उत्पादन भी सतत होता रहे।* इसके साथ ही बड़े पैमाने पर किसानों को जैविक पद्धति से हर्बल फार्मिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें जड़ी- बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए तथा देय सब्सिडी की सहज उपलब्धता की व्यवस्था की जाए।इससे किसानों की आय सचमुच में दोगुनी करने में जहां मदद मिलेगी वहीं उत्पादित जड़ी- बूटियों के प्रसंस्करण ईकाई स्थापित कर भारी पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकेंगे। इस तरह आने वाले कुछ वर्षों में भारत दुनिया का ‘हर्बल हब’, बन कर उभरेगा।

Posted By: Himanshu Sharma //www.naidunia.com/

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